भीमबेटका पाषाण आश्रय स्थल |
भीमबेटका पाषाण आश्रय स्थल एक आर्कियोलॉजिकल साईट और पाषाण काल और भारतीय उपमहाद्वीप में प्राचीन जीवन दृष्टी को दर्शाने वाली जगह है,
Posted 9 months ago in Places and Regions.
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और यही से दक्षिणी एशियाई पाषाण काल की शुरुवात हुई थी। यह भारत के मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन जिले में स्थित है और रातपानी वाइल्डलाइफ अभ्यारण्य के पास ही अब्दुलगंज शहर के समीप है। यहाँ पर स्थापित कुछ आश्रय होमो एरेक्टस द्वारा 1,00,000 साल पहले हुए बसाये हुए है। भीमबेटका में पायी जाने वाली कुछ कलाकृतियाँ तो तक़रीबन 30,000 साल पुरानी है। यहाँ की गुफाये हमें प्राचीन नृत्य कला का उदाहरण भी देती है। 2003 में इन गुफाओ को वर्ल्ड हेरिटेज साईट घोषित किया गया था।भीमबेटका नाम महाभारत के पराक्रमी हीरो भीम से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है की भीमबेटका शब्द की उत्पत्ति भीमबैठका से हुई थी जिसका अर्थ “भीम के बैठने की जगह” से है।भीमबेटका पाषाण आश्रय स्थल मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के ओबेदुल्लागंज शहर से 9 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है और विन्ध्य पहाडियों की दक्षिण किनारों से भोपाल की तरफ से 45 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। इस आश्रय स्थल के दक्षिण में मनमोहक सतपुड़ा पहाड़ी है।यूनेस्को ने ही अपनी रिपोर्ट में भीमबेटका की रॉक आश्रय स्थलों को वर्ल्ड हेरिटेज साईट घोषित किया था। भीमबेटका का सबसे पहले 1888 में भारतीय आर्कियोलॉजिकल रिकार्ड्स में बुद्ध लोगो की जगह के नाम से वर्णन किया गया था, जिसे स्थानिक लोगो से जानकारी लेकर ही घोषित किया गया था। बाद में व्ही.एस. वाकणकर, जब ट्रेन से भोपाल का सफ़र तय कर रहे थे तब उन्होंने स्पेन और फ्रांस में रॉक से बने धरोहरो को यात्रा के दौरान देखा। फिर उन्होंने उस जगह को देखना चाह और 1957 में अपनी आर्कियोलॉजिस्ट टीम के साथ भीमबेटका पहुचे।पहले पीरियड की तुलना में यह थोडा छोटा था और इस समय में लोग अपने शरीर पर रैखिक कलाकृतियाँ बनाते थे। लेकिन इसमें लोग जानवरों की कलाकृतियों के साथ-साथ शिकार करने के स्थल, अस्त्र-शस्त्रों की कलाकृतियाँ भी बनाते थे। साथ ही दीवारों पर पक्षी, नृत्य कला, संगीत वाद्य यंत्र, माताए एवं बच्चे और गर्भवती महिलाओ की कलाकृतियाँ बनायी जाती थी।