23 BARAS BAAD MITA AATANKEE HONE KA DAAG
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महुआ के समलेटी में बस विस्फोट कांड में ताजनगरी के रईस
बेग 23 साल बाद जयपुर की सेंट्रल जेल से रिहा होकर घर आ
गए। उन पर लगा आतंकी होने का दाग भी कोर्ट ने बरी करके मिटा दिया। उनके वापस आने पर परिवार में खुशी है। वहीं
उनसे मिलने के लिए रिश्तेदारों का भी तांता लगा हुआ है। वह
जवानी में पकड़े गए थे। रिहा हुए तो बुढ़ापा आ गया। ताजगंज के तांगा स्टैंड स्थित गढ़इया निवासी रईस बेग दर्जी
थे। 23 साल पहले राजस्थान पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया था। बिजलीघर से पुलिस उन्हें पकड़कर ले गई थी। दो दिन पहले
वह रिहा होकर घर आए। इसकी जानकारी पर रिश्तेदारों का
तांता लग गया।
परिजनों ने बताया कि रईस की उम्र तकरीबन 56 साल है।उनको आंखों से कम दिख रहा है। वह किसी से ज्यादा मिल
नहीं पा रहे हैं। परिजन भी कुछ बताने की स्थिति में नहीं हैं।
रईस के दो बेटे सलमान और रिजवान हैं। वहीं एक बेटी है।
गुरुवार को एलआईयू अधिकारी ने भी पहुंचकर परिजनों से
जानकारी ली।
यह था मामला
22 मई 1996 को रोडवेज की बस आगरा से रवाना होकर
बीकानेर जा रही थी। इसमें 49-50 यात्री सवार थे। महुआ से
आगे समलेटी में बस में विस्फोट हुआ। इसमें 14 लोगों की
मौत हो गई। 37 घायल हुए थे।
यह विस्फोट दिल्ली के लाजपत नगर बस विस्फोट के एक दिन
बाद हुआ था। महुआ के केस में बस के परिचालक अशोक
शर्मा ने मामला दर्ज कराया। इसमें कहा गया था कि बस के दो
यात्री महुआ में उतर गए थे। उन्होंने अपना टिकट भी लौटा
दिया था। वे 27-28 साल के थे।
इस मामले में 29 सितंबर 2014 को बांदीकुई कोर्ट ने अब्दुल हमीद को फांसी की सजा और पप्पू को आजीवन कारावास
की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने दोनों की सजा को बरकरार
रखते हुए बाकी छह आरोपियों को बरी कर दिया है। बरी किए गए आरोपियों में रईस बेग, जावेद खान, लतीफ अहमद बाजा,
मोहम्मद अली भट्ट, मिर्जा निसार हुसैन और अब्दुल गनी हैं।
आतंकी होने के शक में रईस के साथ 12 लोग गिरफ्तार किए
गए थे। इनमें कुछ जम्मू कश्मीर के रहने वाले थे। अदालत में इन लोगों में आपस में कनैक्शन साबित नहीं हो पाया। धमाके
में शामिल होने के साक्ष्य भी नहीं मिले।